मूर्ख गधा
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एक दिन, एक किसान ने रात में गधे को खुला छोड़ दिया, ताकि वह खेत चर सके। जब गधा भोजन कर रहा था तो उसकी दोस्ती एक लोमड़ी से हो गई। लोमड़ी ने कहा, “चलो हम उस मक्के के खेत में चलते हैं और अधिक भोजन का आनंद लेते हैं।” गधा सहमत हो गया। जब वे चर रहे थे, गधा लोमड़ी की ओर मुड़ा और बोला, “मुझे गाने का मन हो रहा है।

लोमड़ी ने धीमी आवाज़ में कहा, “क्या तुम मूर्ख हो? तुम इस खेत के किसानों को जगाओगे।” गधे ने लोमड़ी की बात नहीं मानी। जैसे ही वह शुरू करने वाला था, लोमड़ी उसे छोड़कर पास की झाड़ियों के पीछे छिप गई। गधे के जोर-जोर से रेंकने से मक्के के खेत के किसान दौड़कर आये। उन्होंने गधे को देखा और उसे पीट-पीटकर मार डाला।

नैतिक: हमें जो काम करना है उसे करने के लिए उचित स्थान और समय का पता होना चाहिए।

THE FOOLISH DONKEY

One day, a farmer let the donkey loose at night, so that he could graze the fields. As the donkey was eating, he befriended a fox. The fox said, “Let us go to that maize field and enjoy more food.” The donkey agreed. As they were grazing, the donkey turned to the fox and said, “I feel like singing.”

“Are you foolish? You will wake the farmers of this field,” the fox said in his hush voice. The donkey did not listen to the fox. Just as he was about to begin, the fox left him and went to hide behind the nearby bushes. With the loud braying of the donkey, the farmers of the maize field came running. They spotted the donkey and beat him up blue.

Moral: We must know the proper place and time for doing the things we want.

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